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Tuesday, December 29, 2020

चुकंदर





 चुंकदर खाने के जितने फायदे होते है, उतने ही फायदें इसके रस में होते है। एक गिलास चुकंदर का रस पीने के कई फायदे होते है। अगर किसी पुरुष में लिबिडो बढ़ाना है तो उसके लिए चुकंदर का रस किसी देसी वियाग्रा से कम नहीं है। इसमें ढेर सारी मात्रा में नाइट्रिक ऑक्साइड होता है। मतलब अगर इसे खाया जाए तो यह पुरुषों में एक आम समस्‍या जैसे इरेक्‍टाइल डिस्‍फंक्‍शन को दूर करने में मददगार होता है। साथ ही यह सेक्‍स स्‍टेमिना में बढ़ोतरी भी करता है। चुकंदर में पाये जाने वाले नाइट्रेट तथा फाइबर का शरीर पर एक अलग ही प्रभाव पड़ता है। चुकंदर खासकर उन पुरुषों के लिए वरदान है जो इरेक्‍टाइल डिस्‍फंक्‍शन के शिकार हैं, वे अपनी खाने की प्‍लेट में चुकंदर को शामिल करें और इसके फायदे देखें।चुकंदर को प्राकृतिक वियाग्रा कहा जाता है। चुकंदर में ढेर सारा नाइट्रेट्स पाया जाता है। 

अध्ययनों ने साबित किया है कि चुकंदर को रोजाना खाने से आपके शरीर में नाइट्रिक ऑक्‍साइड की मात्रा बढ सकती है। नाइट्रेट्स का एक अच्छा स्रोत होने के नाते, चुकंदर का जूस आपके खून की नलियों को रिलैक्‍स करता है, खासतौर पर पर पेनिग के आस पास की नसों को और वहां तक ब्‍लड के फ्लो को बढावा देता है। इस कारण लिंग में पर्याप्त कड़ापन आता है। स्त्री पुरुष के यौन अंगों की कार्यविधि सुधरती है। यही काम वियाग्रा भी करती है। इसके अतिरिक्त चुकंदर में बोरोन नामक तत्व होता है जो सेक्स हार्मोन बनने में मददगार होता है। इस प्रकार चुकंदर का उपयोग यौन सम्बन्ध के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। इरेक्शन की वजह से बेड पर पर पुरुषों की एनर्जी पर प्रभाव पड़ता है। इसका प्रभाव आपका प्रभाव आपके सेक्‍स लाइफ पर भी पड़ता है। सिर्फ इरेक्‍शन को ही आप कमजोरी या एनर्जी में कमी का कारण नहीं बता सकते है।

                                     

                                     


कमजोरी कई तरह की होती है चाहे वो मानसिक हो या दिल से जुड़ी हो। इसीलिए बीटरूट जूस पीने से आपकी रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं, खून का प्रवाह बढ़ने से आप बेड पर एनर्जेटिक बन सकते है। अक्‍सर डायबिटिज के मरीजों को बेड पर सेक्‍सुअल परफॉर्मेंस और इरेक्शन की कमी की वजह से शर्मिंदा होना पड़ता है। लेकिन बीटरूट का रस इन समस्याओं से निपटने में मदद कर सकता है। यह सटैलैन और नव बीटीनिन से भरपूर होता है जो ग्लूकोज के स्तर को कम करने, इंसुलिन सेंसिटिविटी में बढ़ोतरी के साथ ही मस्तिष्क के रक्त प्रवाह को बढ़ाता है। यह मूत्र उत्पादन के लिए गुर्दे में पर्याप्त रक्त प्रवाह रखता है। बीटरूट पीने से कोशिकाओं पर ऐसा ही असर पड़ता है, आपको एनर्जी मिलती है और आपका लिबिडो बढ़ता है। स्त्री पुरुष के यौन अंगों की कार्यविधि सुधरती है। यही काम वियाग्रा भी करती है।

                                        


                                       


इसके अतिरिक्त चुकंदर में बोरोन नामक तत्व होता है जो सेक्स हार्मोन बनने में मददगार होता है। इस प्रकार चुकंदर का उपयोग यौन सम्बन्ध के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। भारत में, महिलाओं में एनीमिया बहुत आम है। कम हीमोग्लोबिन एक महिला के ऊर्जा के स्तर को भी गिरा देता है और इसका मतलब यह हो सकता है कि वह बेड में बहुत अच्छा परफॉर्म नहीं कर पातीं। खैर, सिर्फ एक गिलास बीटरूट का रस पीने से मदद मिल सकती है। यह आयरन का एक अच्छा स्रोत है, जो हीमोग्लोबिन बनाने के लिए एक ज़रूरी पोषक तत्व है। हीमोग्लोबिन शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है, जिससे आप फुर्तिला महसूस करती हैं। यह रक्त वाहिकाओं को फैला कर रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। यह रक्तचाप को कम करता है और एनजाइना को आराम देता है। यह प्लेटलेट को जमा होने तथा थक्‍के बनने से रोकता है। गैस्ट्रिक गतिशीलता में मदद करता है। नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है।\

                                  


                                   

Monday, December 28, 2020

history mcq ntpc important

 


1. What was the role of Tatia Tope in the 1857 mutiny?


A. He was commander-in-chief of the army of Nana Saheb


B. He organized Bhils of Panchamahal region against the British


C. Both A and B


D. Neither A nor B


Ans. C


2. Who was the governor-general during the Revolt of 1857?


A. Lord Canning


B. Lord Irwin


C. Lord Lytton


D. Lord Willington


Ans A


3. Who was the prominent leader in Lucknow during the Revolt of 1857?


A. Begum Hazrat Mahal


B. Rani Laxmi Bai


C. Kuar Singh


D. Bahadur Shah Zafar


Ans. A


4. Sir Huge Rose described whom as ‘the best and bravest military leader of the rebel’?


A. Begum Hazrat Mahal


B. Rani Laxmi Bai


C. Kuwar Singh


D. Bahadur Shah Zafar


Ans. B


5. Who is the author of the book” The First Indian War of Independence- 1857-59”?


A. Karl Marx


B. Syed Ahmad Khan


C. R. C. Mazumdar


D. S. N. Sen


Ans. A


6. Consider the following statements related to the cause of the 1857  revolt and select the right one.


A. It was a great disparity in salaries between the Indian and European soldiers.


B. The Indian sepoys were treated with contempt by their European officers.C


C, The sepoys were sent to distant parts of the empire but were not paid any extra allowance.


D. All the above


Ans. D


7. Which of the following is one of the social reasons for 1857 revolt?


A. The English could not establish any social relationship with the Indians.


B. The racial arrogance of the British created a difference between the rulers and the ruled.


C. Both A & B


D. The company’s trade policy destroyed Indian handicrafts.


Ans. C


8. Which of the following leader associated with Barout in Uttar Pradesh during the 1857 revolts?


A. Shah Mal


B. Maulavi Ahamadullah Shah


C. Tatya Tope


D. Veer Kuwar Singh


Ans. A


9. Who among the following British Officials suppressed the Revolt of Jhansi?


A. Colin Campbell,


B. Henry Havelock


C. Henry Lawrence


D. Hugh Rose


Ans. C


10. Consider the following statement (s) related to the administrative causes of the 1857 revolt and select the correct one.


A. Deprivation of the traditional ruling classes of their luxury due to the establishment of the company's suzerainty over the Indian states;


B. Introduction of new and revenue system which snatched the land from cultivator and gave it to the moneylender or traitor.


C. Lord Canning's announcement to that Mughals would lose the title of King and be mere Princess.


D. None of the above


Ans. C

Saturday, December 26, 2020

BIO IMPORTANT MCQ

 1. Which vitamin is needed to prevent Xero-phthalmia?


A. A


B. B


C. C


D. D


Ans:  A


2. Why the white blood corpuscles are popularly called "soldiers of the body”?


A. March at a regular pace

B. Appear uniform

C. Defend the body

D. Disciplined

Ans: C


3.  Hepatitis is a general term for a disease that is caused by:


A. Viruses


B. Bacteria


C. Parasites


D. All the above


Ans: A


4. Which among the following is not an example of carbohydrate?


A. Maltose


B. Fructose


C. Glycogen


D. Glycine


Ans: D


5. Which one of the following is not correctly matched?


A. Haemoglobin: Skin


B. Vitamin C: Scurvy


C. Carbohydrate: Potato


D. Fat: Butter


Ans: A


6. Which is a communicable disease?


A. Asthma


B. Scurvy


C. Measles


D. Diabetes


Ans: C


7. Which one of the following is not correctly matched?


A. Tuberculosis: Lungs


B. Filaria: Lymph nodes


C. Encephalitis: Heart


D. Leukaemia: Blood cells


Ans: C


8. Which of the following has the highest protein content per gram?


A. Groundnut


B. Soyabean


C. Apple


D. Wheat


Ans: B


9. Which of the following have Alpha-keratin as protein?


A. Blood


B. Eggs


C. Skin


D. Wool


Ans: D


10.  Mushrooms are/can be:  


A. A variety of fungus


B. Fleshy, fruiting bodies of the fungus


C. Grown in small sheds or plots


D. All the above


Ans: D


1. Which one of the following pairs is not correctly matched?


A. Becquerel: Radioactivity


B. Alexander Fleming: Penicillin


C. Louis Pasteur: Blood groups


D. William Harvey: Blood circulation


Ans: C


2. Which of the following is a sexually transmitted disease?


A. Leukaemia


B. Hepatitis


C. Colour Blindness


D. All of the above


Ans: C


3. Which one of the following systems of the body is primarily attacked by the HIV?


A. Cardiovascular


B. Immune


C. Respiratory


D. Reproductive


Ans: B


4. In the human body, the blood enters the aorta of the circulatory system from the:


A. Left atrium


B. Left ventricle


C. Right atrium


D. Right ventricle


Ans: B


5. Which one of the following plant nutrients is not supplemented in the soil for growing legumes?


A. Nitrogen


B. Potassium


C. Phosphorus


D. None of these


Ans: B


6. Which of the following are known as the suicide bags of cells?


A. Ribosomes


B. Golgi bodies


C. Lysosomes


D. Nucleoli


Ans: C


7. Chromosome complement in Turner's syndrome is


A. 47; XXY


B. 45; XO


C. 46; XX


D. 47; XYY


Ans: B


8. Excess of amino acids is broken down to form urea in:


A. Kidney


B. Liver


C. Spleen


D. Rectum


Ans: A


9. If a person can see an object clearly when it is placed at about 25cm away from him, he is suffering from:  


A. Myopia


B. Hyper- myopia


C. Astigmatism


D. None of the above


Ans: D


10. Who among the following discovered the anti-rabies vaccine?


A. Edward Jenner


B. James Lind


C. Louis Pasteur


D. Robert Koch


Ans:  C

घुटने में दर्द






घुटने में दर्द क्या है?

घुटने का दर्द वैश्विक स्तर पर अधिकांश लोगों में पाए जाने वाले जोड़ों के दर्द का सबसे आम रूप है। घुटने के दर्द से बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। घुटने का दर्द कई कारणों से हो सकता है जैसे, चोट, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली या चिकित्सा स्थिति। घुटने के दर्द के मामूली रूप का इलाज घर पर ही घुटने के दर्द के घरेलू उपचार से आसानी से किया जा सकता है जबकि अन्य प्रकार के घुटनों के दर्द को ठीक करने के लिए चिकित्सा की आवश्यकता होती है।


घुटने के दर्द के लक्षण

गंभीर घुटने के दर्द के कुछ लक्षणों में शामिल हैं,


घुटने के भीतर और आसपास सूजन और कठोरता

घुटने के पास गर्मी और लाली का आभास 

घुटने में कमजोरी या अस्थिरता

खड़े होने के समय घुटने से पोपिंग और क्रशिंग की आवाज़ 

घुटने को पूरी तरह से सीधा करने में असमर्थता 

यदि आप ऐसे लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो आपको तुरंत राहत पाने के लिए एक डॉक्टर को देखना चाहिए क्योंकि घुटने के दर्द का घरेलू उपचार उपरोक्त लक्षणों में घुटने के दर्द से राहत देने वाला नहीं है।


घुटने के दर्द के कारण

घुटने के दर्द के प्रमुख कारणों में से कुछ चोट, यांत्रिक समस्या और गठिया हैं।


चोट के कारण घुटने में दर्द – घुटने में चोट लगने से हड्डियों, उपास्थि, लिगामेंट्स, टेंडन और तरल पदार्थ की थैली या बर्से को गंभीर नुकसान हो सकता है।


चोट से होने वाले घुटने के दर्द के प्रकार:

एसीएल चोट: एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट की चोट या एसीएल की चोट खेल के मैदानों में पाए जाने वाले सबसे आम घुटने के दर्द के कारणों में से एक है। एसीएल की चोट तब लगती है जब एसीएल खिंच जाता है, आंशिक रूप से फट जाता है या पूरी तरह से फट जाता है। इस तरह की चोट के लिए मुख्य रूप से फुटबाल, टेनिस और बास्केटबॉल में देखी जाने वाली गतिविधियाँ जैसे अचानक रुक जाना और दिशा बदल लेना ज़िम्मेदार हैं। 

फ्रैक्चर: घुटने या पटेला में फ्रैक्चर कष्टदायी रूप से दर्दनाक हो सकता है और गिरने या एक्सेंट्रिक संकुचन के कारण हो सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोग गलत कदम जैसी सरल गतिविधि द्वारा अपने घुटने को फ्रैक्चर कर सकते हैं।

फटे हुए मेनिस्कस: मेनिस्कस रबरयुक्त उपास्थि है और भारी वजन उठाते समय अचानक मुड़कर फट सकता है।

घुटने का बर्सिटिस: घुटने का बर्साइटिस घुटने की चोटों के कारण होने वाले बर्से की सूजन है।

पेटेलर टेंडोनाइटिस: पेटेलर टेंडोनाइटिस जिसे आम तौर पर जम्पर के घुटने के रूप में संदर्भित किया जाता है, पेटेलर टेंडन के अधिक उपयोग से होने वाली चोट है।

यांत्रिक समस्या

घुटने में दर्द का कारण बनने वाली कुछ यांत्रिक समस्याएं हैं;


घुटने में लूज बॉडीज: घुटने के जोड़ में ढीले शरीर लिगामेंट या हड्डी के छोटे खंड होते हैं जो जॉइंट तरल, या सिनोवियम में घुटने के आसपास खुले रूप से घूमते हैं। वे फ्लेक्सियन और एक्सटेंशन मूवमेंट्स में फंस कर जॉइंट मूवमेंट को रोक सकते हैं। ये ढीले शरीर आर्टिकुलर लिगामेंट को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है।

इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम – यह तब होता है जब टिश्यू का चरम बैंड इतना तंग हो जाता है कि यह फीमर के बाहरी भाग के खिलाफ रगड़ता है। स्प्रिंटर्स विशेष रूप से इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।

डिसलोकेटेड नीकैप – डिसलोकेटेड नीकैप , पटेला की अव्यवस्था है। कुछ मामलों में नीकैप अव्यवस्थित मुद्रा में ही रहता है और आप आसानी से अव्यवस्था देख सकते हैं।

कूल्हे या पैर में दर्द – हम अक्सर दर्द हो रहे पैर या कूल्हे से दबाव कम करने की कोशिश करते हैं और दूसरे पैर पर अधिकतम वजन डालकर चलते हैं। इससे एक घुटने पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिससे घुटने में दर्द होता है।

घुटने के दर्द का कारण बने गठिया के प्रकार क्या हैं?

गठिया असंख्य प्रकार के हैं और उनमें से कई घुटने के दर्द का कारण बनने में सक्षम हैं:


ऑस्टियोआर्थराइटिस: इसे डिजेनरेटिव अर्थराइटिस भी कहा जाता है और यह गठिया का सबसे आम रूप है। यह एक अति प्रयोग समस्या है जो अधिक उम्र से संबंधित है और घुटने में कार्टिलेज की टूट फूट के कारण होती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस भी घुटने के दर्द के प्राथमिक कारणों में से एक है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस: यह गठिया के सबसे खराब रूपों में से एक है, जिससे शरीर के लगभग किसी भी जोड़ में दर्द हो सकता है।

गाउट – इस तरह का जोड़ों का दर्द तब होता है जब यूरिक एसिड की पथरी जॉइंट्स में विकसित होती है। हालाँकि गाउट सामान्य रूप से बड़े पैर की अंगुली को प्रभावित करता है, यह घुटने के दर्द के कारणों में से एक भी हो सकता है।

सूडो गाउट – सूडो गाउट जॉइंट तरल में गठित कैल्शियम युक्त क्रिस्टल के कारण होता है और घुटने दर्द के कई कारणों में से एक है।

सेप्टिक आर्थराइटिस – सेप्टिक आर्थराइटिस घुटने के जोड़ में संक्रमण है, जिससे लालिमा, सूजन और बुखार होता है।

घुटने के दर्द से बचाव

कुछ सुझावों का पालन करके व्यक्ति अपने घुटनों की बेहतर देखभाल कर सकता है और काफी हद तक घुटने के दर्द से बच सकता है। घुटने के दर्द के लिए अपनाने की कुछ स्वस्थ आदतें इस प्रकार हैं:

                                                                         

अतिरिक्त वज़न कम करें और घुटनों पर अनुचित दबाव से बचने और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याओं से बचने के लिए एक नियंत्रित वजन रखें।

खेल खेलने के लिए फिट और चुस्त रहें। घुटने के चोट के परिणामस्वरूप अचानक दबाव और तनाव से बचने के लिए अपने घुटने के स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से अभ्यास करना और गर्म होना आवश्यक है।

घुटनों के दर्द के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें, यदि आप पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं, तो स्वस्थ घुटनों के लिए तैराकी या पानी के एरोबिक्स करें।

घुटने के दर्द के लिए घरेलू उपचार:

घुटने के दर्द के लिए घरेलू उपचार घुटने के दर्द के मामूली रूपों को खत्म करने में मदद करता है, लेकिन घुटने के दर्द के अधिक गंभीर रूप को शल्य चिकित्सा और चिकित्सा जैसी विधियों की ओर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। घुटने के दर्द के लिए घरेलू उपचारों में सबसे आम है राइस ट्रीटमेंट जो कि रेस्ट – आइस  – कम्प्रेशन – एलिवेशन है। राइस ट्रीटमेंट का अर्थ है पैरों को कुछ आराम देना, कोल्ड कंप्रेस का अनुप्रयोग; सूजन को रोकने के लिए एक कम्प्रेशन पट्टी के साथ घुटने को लपेटें और अंत में आराम करते समय पैरों को एक ऊंचे स्थान पर रखें।


यदि घुटने के दर्द के घरेलू उपचार के बाद भी, दर्द कम नहीं होता है, तो अन्य उपचारों के लिए डॉक्टर से खुद की जांच करवाना बेहतर होता है।


घुटने के दर्द के उपचार के विभिन्न प्रकार

घुटने के दर्द के लिए उपचार घुटने के दर्द के प्रकार के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। घुटने के दर्द के समाधान के लिए दिए जाने वाले कुछ मानक उपचारों में घुटने के दर्द की दवा, इंजेक्शन, घुटने के दर्द के लिए फिजियोथेरेपी और सर्जरी शामिल हैं।

                                           

दवाएं: आमतौर पर घुटने के दर्द के लिए निर्धारित कुछ दवाएं दर्द निवारक, एनाल्जेसिक, एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं और एंटी रूमेटिक दवाएं हैं।

इंजेक्शन – कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन को घुटने की सूजन में मदद करने के लिए प्रशासित किया जाता है। घुटने के दर्द के लिए प्रशासित अन्य इंजेक्शनों में शामिल हैं – हयालूरोनिक एसिड की खुराक और आर्थोसेन्टेसिस (जॉइंट फ्लूइड एस्पिरेशन)

सर्जरी – घुटने के दर्द के लिए विभिन्न प्रकार की घुटने की सर्जरी की सिफारिश की जाती है – घुटने का प्रतिस्थापन, आर्थ्रोस्कोपी और ओस्टियोटॉमी।

फिजियोथेरेपी – फिजियोथेरेपिस्ट रोगी की स्थिति का आकलन करते हैं और उचित घुटने के दर्द के व्यायाम की सलाह देते हैं। ये घुटने के दर्द व्यायाम घुटनों की अधिक गतिशीलता और लचीलापन प्रदान करने के उद्देश्य से हैं। घुटने के दर्द के नियमित अभ्यास से घुटने के आसपास की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे घुटने की चोट कम होती है।

लिगामेंट की चोटें 

हमारे निचले पैर की हड्डियों को लिगामेंट के माध्यम से जांघ की हड्डियों से जोड़ा जाता है। वे हमें अपने मूवमेंट्स की स्थिरता बनाए रखने में मदद करते हैं। इस मामले में, हमें यहां तीन लिगमेंट्स की भूमिका पर विचार करने की आवश्यकता है, अर्थात्, एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (एसीएल), मीडियल कोलेटरल लिगामेंट (एमसीएल) और पोस्टीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (पीसीएल)। इनमें से किसी भी लिगामेंट के कारण होने वाले मोच के परिणामस्वरूप घुटने में दर्द हो सकता है। अत्यधिक दर्द के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। आपको विशेष रूप से चिकित्सा समानता से परिचित होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आपको निश्चित रूप से इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।


कार्टिलेज का टूटना 

हम सभी कार्टिलेज के महत्व को जानते हैं। कार्टिलेज एक फर्म लेकिन लचीला संयोजी टिश्यू है जो हड्डी के जोड़ों के बीच एक सुरक्षात्मक कुशन का काम करता है। कार्टिलेज को नुकसान गंभीर जॉइंट दर्द और सूजन पैदा कर सकता है। इस कार्टिलेज में दो मिनिस्कॅस होते हैं; मीडियल मिनिस्कॅस (घुटने के अंदर) और लेटरल  मिनिस्कॅस (घुटने के बाहर)। घुटने के प्रत्येक जोड़ों में दो मिनिस्कॅस मौजूद होते हैं। बहुत सी गतिविधियाँ उन्हें विकृत कर सकती हैं। मिनिस्कॅस ऑस्टियोआर्थराइटिस के परिणामस्वरूप भी टूट सकते हैं, एक संयुक्त विकार जो ज्यादातर वृद्ध पुरुषों और महिलाओं में मनाया जाता है। घुटने के कार्टिलेज में दरार एक आम चोट है, और इसे आमतौर पर एक प्रभावी सर्जरी की आवश्यकता होती है। चिंता करे बिना इसपर कार्रवाई करें!


गठिया

गठिय विकार को अक्सर सरल और गलत समझा जाता है। प्रासंगिक अध्ययनों से पता चला है कि ज्यादातर लोग गठिया के कारण शारीरिक विकलांगता से पीड़ित हैं। वयस्कों और बच्चों दोनों में गठिया का निदान किया जाता है। घुटने के दर्द के लिए गठिया एक महत्वपूर्ण कारण है। गठिया के सामान्य प्रकारों में शामिल हैं:


• ऑस्टियोआर्थराइटिस


• रूमेटाइड आर्थराइटिस 


• पोस्ट ट्रॉमेटिक संबंधी गठिया


हालत का इलाज करने के लिए प्रासंगिक उपकरण, चिकित्सा, सर्जरी या यहां तक ​​कि नॉन इंफ्लेमेटरी दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं। समय पर विशिष्ट उपचार लेने की सलाह दी जाती है ताकि आपको बड़ी कीमत न चुकानी पड़े।


हम घुटने के दर्द में कैसे मदद कर सकते हैं?

घुटने का दर्द एक दुर्बल करने वाली बीमारी है और यहां तक ​​कि एक डॉक्टर के क्लिनिक में जाना एक मुश्किल और बेहद दर्दनाक कार्य साबित होता है। अब स्वास्थ्य घर की देखभाल की उपलब्धता के साथ, घुटने के गंभीर दर्द से पीड़ित रोगियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा लेने के लिए किसी भी यात्रा की आवश्यकता नहीं है। पोर्टिया घर पर सबसे अच्छा घुटने के दर्द का इलाज नर्सिंग सेवाओं और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के साथ आपको घर के आराम में प्रदान करता है। इसलिए अगर आपको अपने दरवाजे पर फिजियोथेरेपी या अन्य नर्सिंग देखभाल सेवा की आवश्यकता है तो बस हमसे संपर्क करें और घर पर हमारी विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं का अनुभव करें।




Tuesday, December 22, 2020

गाजर





 क्‍या आपको पता है कि पुरुषों के पास अब एक नहीं बल्‍कि ऐसे अनेको कारण है जिससे वह अब गाजर को अपनी प्‍लेट में शामिल कर सकते हैं। केवल सेब ही नहीं बल्‍कि गाजर भी डॉक्‍टर से दूर रखती है। गाजर भी उन्‍हीं सब्‍जियों में से सबसे लाभदायक है जो आपको बाजार में मिलती हैं। हम सोंचते हैं कि गाजर में भला ऐसा क्‍या है तो इसका जवाब है बीटा कैरोटीन, जो कि पुरषों के लिये हर लिजाह से अच्‍छी होती है।


एक्‍सपट्स का कहना है कि पुरुषों को हफ्ते में दो दिन गाजर जरुर खानी चाहिये। इससे उन्‍हें कई तरह की बीमारियों से लड़ने की शक्‍ति प्राप्‍त होगी। यह पीलिया की प्राकृतिक औषधि है। इसका सेवन ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर ) और पेट के कैंसर में भी लाभदायक है। इसके सेवन से कोषों और धमनियों को संजीवन मिलता है। गाजर में बिटा-केरोटिन नामक औषधीय तत्व होता है, जो कैंसर पर नियंत्रण करने में उपयोगी है।


आज हम आपको गाजर खाने के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ बताएंगे जो कि खासतौर पर पुरुषों के लिये ही हैं। जिन पुरुषों की उम्र 30 के पार है, उन्‍हें जरुर से जरुर गाजर का सेवन करना ही चाहिये क्‍योंकि यही वह उम्र होती है जब आप अपनी फैमिली को बढाने की सोंचते हैं। तो आइये जानते हैं कि पुरुषों के लिये गाजर किस प्रकार से फायदेमंद होती है

                                  

खून की सफाई

पुरुषों को भी अपने खून की सफाई करनी जरुरी है। गाजर का जूस पीने से खून की सफाइ होती है।


स्‍पर्म की क्‍वालिटी बढाए

बताया जाता है कि गाजर खाने से स्‍पर्म की क्‍वालिटी सुधरती है। अगर आप अपनी फेमिली शुरु करने की सोंच रहे हैं तो आपको कच्‍ची गाजर खाना शुरु कर देनी चाहिये।


पाचन के लिये

अगर आपको पाचन संबन्‍धी समस्‍या है तो आप दिन में दो लाल गाजर खाएं, इससे आपका पेट एक दम सही रहेगा।



पेट की गडबडी

जब अगर आपको गैस्‍ट्रिक की समस्‍या है तो आप को दिन में कई बार गाजर खानी चाहिये।


                         

कोलेस्‍ट्रॉल दूर करे

गाजर शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को कम करती है। रात को डिनर करने के बाद एक गिलास गाजर का जूस पीना जरुरी है।



आपकी आंखों के लिये

यह आंखों के लिए इसलिए फायदेमंद होता है क्‍योंकि इसमें बीटा केरोटीन पाया जाता है जो कि लीवर में जा कर विटामिन ए में बदल जाता है। विटामिन ए रेटीना के अंदर ट्रासंफॉम होता है और फिर यह बैगनी से दिखने वाले पिग्‍मेंट में इतनी शक्‍ती होती है कि रतौन्‍धी जैसा रोक दूर-दूर तक नहीं हो पाता।



दिल के लिये

अगर आप हफ्ते में छह गाजर खाते हैं तो आपको दिल का रोग नहीं होगा। ह्दय की कमजोरी अथवा घड़कनें बढ़ जाने पर गाजर को भूनकर खाने पर लाभ होता है।



मुख स्‍वास्‍थ्‍य के लिये

पुरुषों के मुहं में बदबू ना आए और मसूड़ों में सडन ना पैदा हो, इसलिये उन्‍हें गाजर खानी चाहिये।


                         

पेशाब खुल कर होती है

गाजर का रस पीने से पेशाब खुलकर आता है, रक्तशर्करा भी कम होती है। गाजर का हलवा खाने से पेशाब में कैल्शियम, फास्फोरस का आना बंद हो जाता है।



गठिया

गठिया रोग हर किसी को हो जाता है लेकिन इसे दूर रखने के लिये आपको दिन में 1 गाजर रोज खानी चाहिये। गाजर खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं क्‍योंकि इमसें बहुत सारा विटामिन सी होता है।

                               


कैंसर से बचाए

गाजर खाने से कैंसर जैसी बीमारी दूर भागती है।



रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाए

अगर आपका रेाग प्रतिरोधक क्षमता कम है तो आप हमेशा बीमार पड़ते रहेंगे। पर अगर आप गाजर का जूस पिएगें तो आप हमेशा हेल्‍दी बने रहेंगे।


                          

नहीं होगी डायबिटीज

जिन्‍हें डायबिटीज है उन्‍हें गाजर पीने से लाभ मिलेगा।



कब्‍ज भागेगी

गाजर मे बहुत सारा फाइबर होता है, जिसे नियमित खाने पर पेट सही रहता है और कब्‍जी की शिकायत नहीं होती। पेट साफ हो जाता है।


                               

ब्‍लड प्रेशर

गाजर में पोटैटिशम होता है जो कि ब्‍लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है।


Friday, December 18, 2020

डाइट में शामिल करें मूली नहीं होगी डायबिटीज मिलेंगे और भी फायदे, जानिए दो मिनट में













  ठंड का मौसम शुरू होने वाला है और बाजार में सफेद हरे रंग की मूली के ढेर भी दिखाई देने लगे हैं। सर्दियों की सब्जियों में सलाद में खीरे, टमाटर के साथ मूली का उपयोग करते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मूली देखकर ही मुंह बनाने लगते हैं, लेकिन उन लोगों को मूली के स्वाद के साथ साथ उसके फायदों के बारे में एक बार और सोचना चाहिए। मूली भले ही आपको मामूली सब्‍जी लगे, लेकिन यह औषधिय गुणों से भरपूर है।

 मूली की तासीर ठंडी होती है, लेकिन यह आपको सर्दी-जुकाम से लड़ने में मदद कर सकती है। मूली खाने से जुकाम से बचे रह सकते हैं। इसलिए इस मौसम में अपने इम्यूनिटी सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करने के लिए खाने में मूली को शामिल जरूर करें।

नियमित रूप से मूली खाने वाले व्यक्ति को कोई रोग नहीं होता। मूली को कच्चा खाना विशेष रूप से लाभ देता है। मूली पतली ली जानी चाहिए। ज्यादातर लोग मोटी मूली लेना पसंद करते हैं, क्योंकि वह खाने में मीठी लगती है परन्तु गुणों में पतली मूली अधिक श्रेष्ठ है।

                           

मूली आपकी भूख को बढ़ाती है और आपके पाचन तंत्र को बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। गैस की परेशानी में खाली पेट मूली के टुकड़ों का सेवन फायदेमंद होता है।

 मूली उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रण में रखने का काम करता है। मूली में पोटैशियम होता है जो खाने में सोडियम की अधिक मात्रा को नियंत्रित करके शरीर को उच्च रक्तचाप के खतरे से बचाता है।

                              

मूली शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड निकालकर ऑक्सीजन प्रदान करती है।

थकान मिटाने और अच्छी नींद लाने में मूली का विशेष योदान होता है।

यदि सूखी मूली का काढा बनाकर जीरे और नमक के साथ उसका सेवन किया जाए, तो न केवल खांसी बल्कि दमे के रोग में भी लाभ होता है।

                            

मूली इम्यून पावर बढ़ाती है और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार है। बवासीर में कच्ची मूली या मूली के पत्तों की सब्जी बनाकर खाना फायदेमंद होता है।

हर रोज सुबह उठते ही एक कच्ची मूली खाने से पीलीया रोग में आराम मिलता है। अगर पेशाब का बनना बंद हो जाए तो मूली का रस पीने से पेशाब दोबारा बनने लगती है। आधा गिलास मूली का रस पीने से पेशाब के साथ होने वाली जलन और दर्द मिट जाता है।

 खट्टी डकारें आती है तो मूली के एक कप रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।

                             

अगर मुंहासों से मुक्ति चाहिए तो मूली खाईए। मूली में भरपूर मात्रा में विटामिन सी, जिंक, बी कांप्‍लेक्‍स और फॉस्‍फोरस होता है। यह मुंहासों को दूर करने में मददगार है। आपको करना बस यह है कि मूली का टुकड़ा काटकर मुंहासों पर लगाएं। इसे तब तक लगाए रखें जब तक यह खुश्क न हो जाए। थोड़ी देर बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें। कुछ ही दिनों में चेहरा साफ हो जाएगा।

                              

थकान मिटाने और नींद लाने में मूली बेहद फायदेमंद है। वहीं, अगर आपको मोटापे से छुटकारा पाना है तो मूली के रस में नींबू और नमक मिलाकर खाने से बहुत लाभ मिलता है। दरअसल, मूली खाने से आपकी भूख शांत होती है।

Wednesday, December 16, 2020

सफेद मूसली एक जड़ी बूटी




 सफेद मूसली  क्या है?

सफेद मूसली एक जड़ी बूटी है जो आमतौर पर पूरे भारत के वन क्षेत्रों में पाई जाती है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। पुरुषों की सेक्सुअल हेल्थ के लिए तो इसे वरदान बताया गया है। आयुर्वेद में इसे व्हाइट गोल्ड और दिव्य औषधी के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पातिक नाम क्लोरोफाइटम बिरिविलिअनुम  है।

यूनानी चिकित्सा और आयुर्वेद में भी इसका इस्तेमाल दवा बनाने के लिए किया जाता है। पौराणिक समय से इसे अर्थराइटिस, कैंसर, डायबिटीज और पुरुषों में सेक्स परफॉरमेंस को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। इसलिए इसे हर्बल वायगरा के नाम से भी जाना जाता है। आज कई बॉडी बिल्डिंग के लिए लिए जाने वाले सप्लीमेंट्स में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। सफेद मूसली लिलिएसिए परिवार से ताल्लुक रखता है। औषधीय गुणों से भरपूर इसकी जड़ों और बीजों का प्रयोग दवाओं में किया जाता है। यह वात और पित्त दोष में राहत पहुंचाती है लेकिन कफ दोष को बढ़ाती है।

सफेद मूसली  का उपयोग किस लिए किया जाता है?

सेक्स परफॉर्मेंस को बढ़ाता है

सफेद मूसली का इस्तेमाल मुख्य रूप से यौन स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए उपयोगी माना जाता है। कई शोध के अनुसार, इसका सेवन करने से सीरम टेस्टोस्टेरोन, कामेच्छा, स्तंभन दोष में सुधार देखने को मिला है।

थकान और कमजोरी को दूर करता है

सफेद मूसली को थकान और कमजोरी को दूर करने के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन करने से शरीर को ताकत मिलती है। साथ ही वह पूरा दिन एक्टिव फील करते हैं।

अंडरवेट 

अंडरवेट लोगों के लिए यह उपयोगी मानी जाती है। यह कुपोषित शरीर को पोषण प्रदान करती है। इसके अलावा यह वजन बढ़ाने में भी मदद करती है। वजन बढ़ाने के लिए इसे दूध के साथ लेने की सलाह दी जाती है। कुछ लोगों में पाचन कमजोर होता है जिस कारण उन्हें इसे डायजेस्ट करने में परेशानी हो सकती है। इन लोगों को इसकी कम खुराक दी जाती है और इसके साथ दूसरे हर्ब्स दिए जाते हैं।

प्रेग्नेंसी में लाभदायक

इस हर्ब को प्रेग्नेंसी में भी रिकमेंड किया जाता है। इसे प्रेग्नेंट महिला को न्युट्रिटिव टॉनिक के तौर पर दिया जाता है। यह भ्रूण और मां दोनों की रक्षा करता है।

मोटापे से राहत

यह मोटापे को नियंत्रित और रोकने में मदद करता है। इसके साथ ही मोटापे से होने वाले दुष्प्रभावों को भी रोकता है।

ल्यूकोरिया के इलाज के लिए उपयोगी

इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल ल्यूकोरिया के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है।

नोक्टर्नल एमिशन 

इसे नाइटफॉल  भी कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार यह वात से जुड़ी अधिक पित्त के कारण होता है। सपने, सोच और शारीरिक संबंधों की कल्पना, इस स्थिति को ट्रिगर कर सकता है। इससे निजात पाने के लिए सफेद मूसली का पाउडर लेने की सलाह दी जाती है।

डायबिटीज मेलिटस 

मोडर्न रिसर्च स्टडी के अनुसार, सफेद मूसली में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी हाइपरग्लाइसेमिक और एंटीडायबिटीक प्रॉपर्टीज होती हैं।

अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द में फायदेमंद

एनसीबीआई पर प्रकाशित जानवरों पर किए गए शोध के अनुसार, सफेद मूसली की जड़ों में सैपोनिन नामक कंपाउंड पाया जाता है। सैपोनिन में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटी-अर्थराइटिस गुण होते हैं, जिस वजह से यह गठिया में होने वाली सूजन से निजात दिलाता है।

सफेद मूसली  कैसे काम करती है?

                          

सफेद मूसली की जड़ में 25 तरह के एल्कलॉइड्स, विटामिन और मिनिरल्स जैसे कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम मौजूद होते हैं। इसमें पॉलीसेकराइड , रेजिन , फेनोल  और म्युसिलेज कंटेंट होता है। इसके अलावा इसमें निम्न मेडिसनल प्रॉपर्टीज होती हैं:


एंटासिड 

एंटी-अर्थराइटिक 

एंटीकैंसर 

एंटी-इन्फलामेटरी 

अल्टरेटिव

इम्यूनोमॉड्यूलेटरी 

टॉनिक 

एंटीऑक्सीडेंट 

एंटी-स्ट्रेस 

एडेप्टोजेनिक 

एंड्रोजेनिक 

कार्डियोप्रोटेक्टिव 

एफ्रोडिसिएक 

इरेक्टोजेनिक 

एंटीहायपरलिपिडिमिक 

सावधानियां और चेतावनी

कितना सुरक्षित है सफेद मूसली का उपयोग?

कई शोध के अनुसार, ज्यादातर लोगों के लिए सफेद मूसली का सेवन सेफ पाया गया है। निम्नलिखित लोगों को इसका सेवन करने से परहेज करना चाहिए:

                           

लो डायबिटीज के पेशेंट्स को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसका सेवन करने से शुगर लेवल अत्यधिक कम हो सकता है।

जिन लोगों को पाचन संबंधित परेशानी हैं उन्हें भी इसका सेवन करने से बचना चाहिए।

यदि आप कोई दवा का सेवन कर रहे हैं तो इस जड़ी बूटी का सेवन न करें। यह आपकी दवा के साथ इंटरैक्ट कर सकती है।

यदि आपको कोई क्रोनिक बीमारी है तो भी इसका सेवन करने से बचें।

सफेद मूसली को इस्तेमाल एक देशी इलाज के तौर पर किया जाता है। हालांकि, इसका सेवन हमेशा अपने डॉक्टर के निर्देश पर ही करना चाहिए।

साइड इफेक्ट्स

सफेद मूसली  से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?

                          

कई स्टडी के अनुसार सफेद मूसली का सेवन सुरक्षित है। इसका सेवन करने से किसी तरह के साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं। साथ ही एक रिपोर्ट में इस बात का वर्णन किया है कि सफेद मूसली में अधिक मात्रा में सैपिनिन कंटेंट होने के कारण, जिस वजह से इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं जैसे कब्ज, एसिडिटी, इरिेटेबल बाउल सिंड्रोम आदि की शिकायत हो सकती है। इसकी हाई डोज लेने से बचें। डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई खुराक का ही सेवन करें।

डोसेज

सफेद मूसली  को लेने की सही खुराक क्या है?

                             

सफेद मूसली का इस्तेमाल विभिन्न परेशानियों में किया जाता है। इसकी खुराक हर किसी के लिए अलग हो सकती है। यह मरीज की स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और लिंग के आधार पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जा सकती है। कभी भी इसकी खुराक खुद से निर्धारित करने की गलती न करें। आपके द्वारा की गई ये छोटी से लापरवाही स्वास्थ्य पर बुरा असर कर सकती है। चिकित्सक की सलाह के बिना इसका सेवन कभी न करें।

अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा

Monday, December 14, 2020

सर्दियों में क्यों बढ़ जाता है जोड़ों का दर्द

सर्दियां आते ही बुजुर्गों में जोड़ों के दर्द की समस्या अधिक देखने को मिलती है. जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है दर्द में भी वृद्धि होती है. डॉक्टरों का मानना है कि तापमान में कमी के चलते जोड़ों की रक्त वाहिनियां सिकुड़ती हैं और उस हिस्से में रक्त का तापमान कम हो जाता है, जिसके चलते जोड़ों में अकड़न होने के साथ दर्द होने लगता है. डॉक्टरों के अनुसार, कुछ सावधानियां बरत कर इस परेशानी से बचा जा सकता है. 




कानपुर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य रहे अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंद स्वरूप ने कहा, "ठंड के मौसम में हमारे दिल के आसपास रक्त की गर्माहट बनाए रखना आवश्यक होता है. इसके चलते शरीर के अन्य अंगों में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है. जब त्वचा ठंडी होती है तो दर्द का असर अधिक महसूस होता है. इस दर्द को वैज्ञानिक भाषा में आर्थराइटिस कहा जाता है."

                                    

उन्होंने कहा, "आर्थराइटिस आमतौर पर 40 साल से अधिक उम्र के लोगों और इनमें भी विशेषकर महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. चूंकि पूरे शरीर का भार घुटने उठाते हैं, इसलिए आर्थराइटिस की समस्या के चलते इन्हें सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ता है."

                                   

डॉक्टर ने आगे कहा, "रूमेटाइड आर्थराइटिस में जोड़ों के साथ कुछ दूसरे अंग या पूरा शरीर भी प्रभावित होता है. हाथ पैरों के जोड़ों में दर्द, सूजन, टेढ़ापन, मांसपेशियों में कमजोरी, बुखार आदि इसके लक्षण हैं."


आनंद स्वरूप ने कहा कि "उम्र के साथ हड्डियों से कैल्शियम और अन्य खनिज पदार्थो का क्षरण होने लगता है. किसी भी जोड़ में हड्डियां आपसी संपर्क में नहीं आतीं. जोड़ों के बीच में एक कार्टिलेज का कुशन होता है. जैसे ही हम बूढ़े होने लगते हैं कुशन को लचीला और चिकना बनाए रखने वाला लुब्रीकेंट कम होने लगता है. लिगामेंट्स की लंबाई और लचीलापन भी कम हो जाता है, जिसकी वजह से जोड़ अकड़ जाते हैं. नियमित कसरत और पौष्टिक आहार लेने से आप जोड़ों की चपलता को बरकरार रख सकते हैं."

                                        

सुबह की गुनगुनी धूप को विटामिन डी का एक अच्छा स्रोत माना जाता है. कई अध्ययनों में यह बात साबित हो चुकी है. ठंड के दिनों में यदि विटामिन डी की भरपूर खुराक ली जाए तो कमर दर्द और जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिलता है. धूप हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है. धूप में बैठने से रक्तशोध बढ़ता है और जोड़ों के दर्द और सूजन से मुक्ति मिलती है.

                                           

डॉक्टर ने आगे कहा, "रूमेटाइड आर्थराइटिस में जोड़ों के साथ कुछ दूसरे अंग या पूरा शरीर भी प्रभावित होता है. हाथ पैरों के जोड़ों में दर्द, सूजन, टेढ़ापन, मांसपेशियों में कमजोरी, बुखार आदि इसके लक्षण हैं."


जोड़ों के दर्द में कई महत्वपूर्ण आसन या योग, जैसे गिद्घासन व प्राणायाम मदद करते हैं. लगातार कई घंटों तक एक ही कुर्सी और कंप्यूटर के आगे बैठे-बैठे आपके जोड़ अकड़ जाते हैं, इसलिए जरूरी है कि आप अपने जोड़ों के लिए थोड़ा वक्त निकालें.

                                                 

डॉ. स्वरूप के अनुसार, खान-पान, मर्निग वॉक, कुछ आसन व कसरत जोड़ों को मजबूत रखने में मदद कर सकते हैं. मरीज विशेषज्ञ की देखरेख में ही एक्सरसाइज और योग करें. ऑफिस में हर आधे घंटे या एक घंटे में सीट छोड़कर सात मिनट के लिए घूमे-फिरें. शरीर को स्ट्रैच करें. महिलाएं ऊंची हील की सैंडिल पहनने से बचें. इससे एड़ी, घुटने और पिंडलियों के साथ कमर पर भी असर पड़ता है.

                                            

Wednesday, December 9, 2020

शतावरी










 शतावरी क्या है?


हिमालय की गोद में प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए कई अनमोल उपहार मौजूद हैं। हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक जड़ी बूटियों की भरमार है और शायद ही मनुष्‍य की जरूरत की ऐसी कोई जड़ी बूटी होगी जो हिमालय में मौजूद न हो। शतावरी भी हिमालय और हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों में से एक है।


शतावरी आयुर्वेद में सबसे पुरानी जड़ी बूटियों में से एक है और भारतीय औषधियों पर लिखे गए अधिकतर प्राचीन ग्रंथों में भी शतावरी का उल्‍लेख मिलता है। चरक संहिता औरअष्‍टांग हृदयम दोनों में ही शतावरी को स्त्रियों के लिए शक्‍तिवर्द्धक बताया गया है।

शतावरी एक ऐसी जड़ी बूटी है जो स्‍त्री प्रजनन प्रणाली में सुधार लाने में मदद करती है। आयुर्वेद में शतावरी को ‘सौ रोगों में प्रभावकारी’ बताया गया है। इसके अलावा तनाव-रोधी और एंटीऑक्‍सीडेंट गुणों से युक्‍त होने के कारण शतावरी तनाव एवं बढ़ती उम्र से संबंधित समस्‍याओं के इलाज में बहुत असरकारी जड़ी बूटी मानी जाती है। इस जड़ी बूटी के महत्‍व का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आयुर्वेद में शतावरी को ‘जड़ी बूटियों की रानी’ कहा जाता है।

शक्तिवर्धक के रूप में

विभिन्न शक्तिवर्धक दवाईयों के निर्माण में सतावर का उपयोग किया जाता है। यह न केवल सामान्य कमजोरी, बल्कि शुकवर्धन तथा यौनशक्ति बढ़ाने से संबंधित बनाई जाने वाली कई दवाईयों जिनमें यूनानी पद्धति से बनाई जाने वाली माजून जंजीबेल, माजून शीर बरगदवली तथा माजून पाक आदि प्रसिद्ध हैं, में भी प्रयुक्त किया जाता है। न केवल पुरूषों बल्कि महिलाओं के लिए भी इससे कई दवाईयां बनाई जाती है। महिलाओं के विभिन्न योनिदोषों के निवारण के साथ-साथ यह महिलाओं के बांझपन के इलाज हेतु भी प्रयुक्त किया जाता है। इस संदर्भ में यूनानी पद्धति से बनाया जाने वाला हलवा-ए-सुपारी पाक अपनी विशेष पहचान रखता है।


दुग्ध बढ़ाने हेतु


माताओं का दुग्ध बढ़ाने में भी सतावर काफी प्रभावी सिद्ध हुआ है तथा वर्तमान में इससे संबंधित कई दवाईया बनाई जा रही हैं। न केवल महिलाओं बल्कि पशुओं–भैसों तथा गायों में दूध बढ़ाने में भी सतावर काफी उपयोगी सिद्ध हुआ है।

चर्मरोगों के उपचार हेतु


विभिन्न चर्म रोगों जैसे त्वचा का सूखापन, कुष्ठ रोग आदि में भी इसका बखूबी उपयोग किया जाता है।


शारीरिक दर्दो के उपचार हेतु

आंतरिक हैमरेज, गठिया, पेट के दर्दो, पेशाब एवं मूत्र संस्थान से संबंधित रोगों, गर्दन के अकड़ जाने (स्टिफनेस), पाक्षाघात, अर्धपाक्षाघात, पैरों के तलवों में जलन, साइटिका, हाथों तथा घुटने आदि के दर्द तथा सरदर्द आदि के निवारण हेतु बनाई जाने वाली विभिन्न औषधियों में भी इसे उपयोग में लाया जाता है।


उपरोक्त के साथ-साथ विभिन्न प्राकर के बुखारों (मलेरिया, टायफाईड, पीलिया) तथा स्नायु तंत्र (Nervous System) से संबंधित विकारों के उपचार हेतु भी इसका उपयोग किया जाता है। ल्यूकोरिया के उपचार हेतु इसकी जड़ों को गाय के दूध के साथ उबाल करके देने पर लाभ होता है। इसी प्रकार इसकी जड़ों को नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बनाकर लेप करने से बॉयल्स का उपचार होता है। उपरोक्तनुसार देखा जा सकता है कि सतावर काफी अधिक औषधीय उपयोग का पौधा है। यूं तो अभी तक इसकी बहुतायत में उपलब्धता जंगलों से ही है परन्तु इसकी उपयोगिता तथा मांग को देखते हुए इसके कृषिकरण की आवश्यकता महसूस होने लगी है तथा कई क्षेत्रों में बड़े स्तर पर इसकी खेती प्रारंभ हो चुकी है जो न केवल कृषिकरण की दृष्टि से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी काफी लाभकारी सिद्ध हो रही हैं।


शतावरी यौन विकारों का एक प्रबल उपाय है। यह महिलाओं के प्रजनन अंगों  के लिए एक शक्तिशाली यौन और कायाकल्प टॉनिक है। यह प्रजनन अंगों के लगभग सभी विकारों के इलाज में मदद करती है। यह एस्ट्रोजन उत्पादनको उत्तेजित करती है और मासिक धर्म चक्र को भी नियंत्रित करती है। पुरुषों में यह शुक्राणुओं  की संख्या बढ़ाती है और शुक्राणु की गुणवत्ता और गतिशीलता में सुधार लाती है। यह यौन स्वास्थ्य समस्याओं में अपने प्रभाव के कारण बांझपन के उपचार में भी प्रयोग की जाती है।

शतावरी से कामेच्छा बढ़ती है। ये आपके हॉर्मोन को संतुलित करता है और परुष और महिलाओं के यौन विकार ठीक करता है। इसको लेने से चिंता जैसे रोग दूर होने के साथ साथ यह पुरुषों की शारीरिक और मानसिक विकार ठीक करता है। इसके उपयोग से  कामेच्छा के साथ शुक्राणुओं की मात्रा और गतिशीलता भी बढ़ती है।