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Tuesday, April 21, 2020

कोरोना का अगला केंद्र होगा अफ्रीका, 33 लाख लोगों की मौत की आशंका

कोरोनावायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। अब तक इस वायरस से 1.5 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 22 लाख से अधिक लोग इसके संक्रमण से ग्रसित हैं।
corona in africa
Image source- bbc news

नई दिल्ली। कोरोना वायरस (coronavirus ) ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखा है। चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ है। कोरोना का प्रकोप सबसे ज्यादा अमेरीका (coronavirus usa) में है। अमेरिका में गुरुवार को एक दिन में कोरोना से सबसे ज्यादा 4591 मौत रिकॉर्ड हुआ है।

इससे पहले अमेरिका में बुधवार को 2494 मरीजों की मौत एक दिन में हुई थी। यूएस में 6 लाख 72 हजार से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस मिल चुके हैं जो दुनिया का लगभग एक तिहाई कोविड केस है। लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना का अगला केंद्र अफ्रीका (coronavirus in africa) बन सकता है।

WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, आइवरी कोस्ट, कैमरून और घाना में राजधानी शहरों से दूरदराज के इलाकों तक तेजी से फैल रहा है। वहीं अबतक अफ्रीका में कोरोना वायरस से अब तक लगभग 1,000 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 18 हजार से ज्‍यादा संक्रमित हैं। लेकिन माना जा रहा है कि ये आंकड़े बढ़ सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग (United Nations Economic and Social Council) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सामान्य स्थिति में कोरोना अफ्रीका में 3 लाख से अधिक लोगों की जान ले सकता है। वहीं अगर हालात खराब हुए और संक्रमण पर रोक नहीं लग पाया तो ये आंकड़ा 3 लाख से 33 लाख में दल सकता है। रिपोर्ट की माने तो अफ्रीका में 120 करोड़ लोग संक्रमित होने की संभावना जताई जा रही है।

Saturday, April 18, 2020

तिरंगे के रंग में रंगा आल्प्स पर्वत, कोरोना से जंग में दी भारत को सलामी

कोविड-19 महामारी के खिलाफ भारत के सराहनीय कदम की हर किसी ने प्रशंसा की है। हिंदुस्तान न केवल अपने लोगों की जान बचाने में जुटा हुआ है बल्कि दूसरे देशों को भी मदद पहुंचा रहा है। आज हमारा तिरंगा स्विट्जरलैंड के आल्प्स के मैटरहॉर्न पर्वत पर चमकता हुआ दिखाई दिया।
 मशहूर स्विस लाइट आर्टिस्ट गेरी हॉफसेट्टर पिछले महीने से विभिन्न देशों के झंडे पर्वत पर उकेर रहा है। अबतक वह संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस), यूनाइटेड किंगडम (यूके), जापान, स्पेन जैसे कई देशों के झंडे 14,690 फीट ऊँचे पहाड़ पर सजा चुके हैं। उनकी इस पहल से दुनिया में आशा की ज्योति जली है ताकि सारे देश एकजुट होकर इस जानलेवा वायरस को हरा सकें। गेरी हॉफसेट्टर ने खुलासा किया कि प्रकाश की ये चमक इन अंधेरे समय के दौरान 'आशा' के विचार को व्यक्त करती है।​​​​​​​
alps-tiranga  , switzerland
source Twitter


उन्होंने लिखा-“प्रकाश का मतलब आशा और उम्मीद होता है। ऐसे समय में जब दुनिया कोरोना जैसे संकट का सामना कर रही है। उनके जज्बे को सलाम करने के लिए ऐसा किया गया है, ताकि ये संदेश जाए कि पूरी दुनिया इस महामारी के खिलाफ एकजुटता के साथ लड़ रही है और इस लड़ाई में हम कामयाब होंगे।”
वही एकजुटता के इस प्यारे प्रदर्शन के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए, भारतीय विदेश सेवा अधिकारी गुरलीन कौर ने इस सम्मान के बाद दोनों देशों की दोस्ती को "हिमालय से आल्प्स" का नाम दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस खूबसूरत नज़ारे की तस्वीर अपने ट्विटर अकाउंट पर साझा की है। उन्होंने स्विट्जरलैंड में भारतीय दूतावास के पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि पूरी दुनिया कोविड-19 की लड़ाई से एकजुट हो गयी है। मानवता निश्चित रूप से इस महामारी से जीतेगी।

बता दें कि दुनियाभर में शुक्रवार को कोरोना के 86,198 नए मामले सामने आए, जिसके बाद कुल मामलों की संख्या बढ़कर 22,48,500 से ज्यादा हो गयी है। कल का दिन भी कोरोना वायरस से हो रही मौतों के हिसाब से बेहद खराब साबित हुआ। इस घातक वायरस से दुनिया भर में 7382 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। वही भारत में कोरोना संक्रमित लोगों का आकड़ा 14,000 तक पहुँच गया है। 480 से ज्यादा लोग अपनी जान गवां चुके हैं।

United Nation रिपोर्ट: कोरोना से 10 साल पीछे जाएगा भारत, करोड़ों लोग होंगे गरीब!

इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है और अधिकांश देशों में लॉकडाउन जारी है. लॉकडाउन की वजह से विश्व के साथ ही भारत पर भी भयंकर आर्थिक मंदी के बादल मंडरा रहे हैं. ऐसे में UN की जो रिपोर्ट सामने आई है उससे देश की परेशानी और बढ़ सकती है.

लॉकडाउन से जूझते हुए देश को आर्थिक मंदी से बचाए रखने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार हर संभव कोशिश कर रही है. हालांकि इस कोशिश के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना का बुरा प्रभाव पड़ना तय है. यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की वजह से करीब 10 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे चले जाएंगे. इसका सबसे बड़ा कारण पूरे देश में आर्थिक गतिविधियों का पूरी तरह रुक जाना बताया गया है.

यूएन के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस को लेकर जो लॉकडाउन हुआ है, उस पर हाल ही में एक विश्लेषण किया है. इसी आधार पर आशंका जताई गई है कि भारत में 104 मिलियन (10 करोड़ से ज्यादा) से अधिक लोग विश्व बैंक द्वारा निर्धारित गरीबी रेखा से नीचे चल जाएंगे. जिसका सीधा अर्थ हुआ कि वो बेहद गरीबी में जीने को मजबूर होंगे. यूएन के मुताबिक अभी जो लोग रोज 245 रुपये से कम कमाते हैं उन्हें गरीबी रेखा से नीचे रखा जाता है.

United Nation Report


भारत में करीब 60 प्रतिशत आबादी यानी 81 करोड़ 12 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं. अगर ऐसा होता है तो भारत में गरीबी रेखा के नीचे जीने वालों की संख्या 90 करोड़ के आंकड़े को पार कर जाएगी. शोध में इसका कारण कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए हालात को बताया गया है. जो 60 फीसदी भारतीय अभी गरीबी रेखा के नीचे रह रहे हैं यह बढ़कर 68 फीसदी तक पहुंच सकते हैं. बता दें कि एक दशक पहले भारत की यही स्थिति थी लेकिन सरकार के प्रयासों के बाद गरीबी रेखा से बाहर आने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि गरीबी कम करने के लिए सरकार के वर्षों के प्रयासों को महज इन कुछ महीनों (लॉकडाउन) ने गहरा धक्का पहुंचाया है.

बता दें कि विश्व बैंक देशों को चार व्यापक आय श्रेणियों में वर्गीकृत करता है, जिसके आधार पर उन्हें तीन गरीबी रेखा के बीच बांटा जाता है. भारत निम्न मध्य आय वर्ग श्रेणी वाले देश में आता है.

ऐसा देश जहां प्रति व्यक्ति वार्षिक सकल राष्ट्रीय आय 78,438 रुपये से लेकर 3 लाख रुपये के बीच है. उन देशों में प्रति दिन 245 रुपये से कम कमाने वालों को गरीबी रेखा से नीचे माना जाता है.

Thursday, April 16, 2020

Uruguay : cow lover country


Uruguay is such a country
In which, on average, each man has 4 cows.
And they are number one in the world in terms of farming ..
Is a country of only 3.3 million people
And there are 10 million 20 million cows.

Each 🐄 cow has an electronic 📼 chip placed on its ear.
So which 4 cows are there
They keep watching.

If a farmer is harvesting crops sitting inside a machine
The second one adds it to the screen, what is the crop data?
Through the data collected, farmers themselves analyze the yield per square meter!

In 2005, the country of 33 lakh people produced food grains for 90 lakh people ..
And to date
Produces food grains of 28 million people ..

The successful performance of Uruguay includes decades of study of the country, farmers and livestock.

5000 agricultural engineers have been installed to see the entire farming.
And these people keep an eye on the farmers through drones and satellites, that they should adopt the same method of farming as prescribed ...
That is, milk curd with ghee butter produces many times more grains than the population ..
Grain, milk, milk, ghee, butter, is exported comfortably and every farmer plays in lakhs ..

A man's least income
$ 1,25,000 in months
That means $ 1500000 annually.

The national symbol of this country is Surya and the national symbol of progress is the cow and the horse.

In Uruguay, there is an immediate hanging law on the killing of a cow.


Thank you to this proud nation

Wednesday, April 15, 2020

Pandav King World Famous Meenakshi Temple, Madurai

Meenakshi Temple, Madurai


The old city of Madurai is more than 2500 years old and was built by the Pandyan king Kulasekhar in the 6th century. But this hero's tenure is called the Golden Age of Madurai when art, architecture and learning flourished. The city includes its most famous monuments including the most beautiful buildings such as the Meenakshi Temple, which was built during the Nayak rule.

meenakshi temple , gopuram meenakshi temple

The temple of Meenakshi - Sundareswara located in the heart of the city of Madurai is dedicated to Goddess Meenakshi, the wife of Lord Shiva. It is one of the important places of Hindu pilgrimage with it being a tourist attraction from India and abroad. For the people of Madurai, this temple is the center of their cultural and religious life.

It is said that the people of the city wake up not only by hearing the sound of nature but also by the temple chanting. All the major festivals of Tamil Nadu are celebrated with reverence here. The most important festival in this is the Chitrai Festival, which is organized in April - May. When Meenakshi and Sundareswarar's wedding is organized by astronomical method and it is attended by a group of people from all over the state.
meenakshi temple piller , meenakshi temple tank
meenakshi temple piller

The sculptural pillars are covered with distinctive murals that are full of scenes from the time of her marriage to Princess Meenakshi and Lord Shiva. Lord Shiva is represented through the linga in the temple of Sundareswara beyond the courtyard. The pillars made here are adorned with the marriage scenes of Meenakshi and Sundareswarar. There are about 985 richly carved pillars here and all surpass each other in beauty.

Folk tale



Goddess Meenakshi is considered the daughter of King Mallaya Dwaj Pandia and Queen Kanchan Mala, who was born after many yagyas. This three-year-old girl was revealed by the fire of the last yagna. Prince Meenakshi grew up and turned into a beautiful woman who won the struggle of many lands and challenged the mightiest kings. When it is revealed that the princess is actually born again to Parvati ji, who has come on earth to honor the promise given to Kanchan Mala in her previous life. Thus Shiva came to Madurai as Sundareswarar to marry Meenakshi and ruled here for many years and both started their journey to heaven from the place where this temple is located today.

The splendor and historical significance of this double temple complex reflects the pride of the ancient times in the city, but today Madurai is the most important cultural and commercial center of India. Modernity has reached this city but it is not at the cost of their rich culture and strong tradition.

meenakshi temple , meenakshi temple stone art
meenakshi temple stone art 


Every Friday, golden statues of Meenakshi Devi and Lord Sundareswara are swinged in a swing


Life Mantra Desk. There is Meenakshi Temple in Madurai city of Tamil Nadu. This temple is famous worldwide due to its design. The sanctum sanctorum here is believed to be around 3500 years old. This temple is dedicated to Lord Shiva and Goddess Parvati. It is said about the temple that Lord Shiva came here on earth to marry Goddess Parvati (Meenakshi) in the form of Sundareswarar. The temple is located at the same place.


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meenakshi temple god


This temple is spread over 45 acres

The huge courtyard here houses Sundareswarar (group of Shiva temples) and the temple of Meenakshi Devi on the left. The Shiva temple group has an attractive statue of Lord Shiva in Nataraja Mudra. This statue is situated on a silver altar. There are many craft figures outside, which are built only on each stone, as well as Ganeshji's temple. Spread over 45 acres, the smallest dome of this temple has a height of 160 feet. Apart from the two main temples Sundareswarar and Meenakshi, there are many other temples where Lord Ganesha, Murugan, Lakshmi, Rukmani, Saraswati Devi are worshiped.


Golden lotus is made

meenakshi temple inner art , meenakshi temple gallary
meenakshi temple inner art

There is also a pond in the temple called 'Porth Marai Kulam' which means a golden lotus pond. The 165 feet long and 120 feet wide lotus of gold is exactly in the middle of the pond. Devotees believe that this pond is inhabited by Lord Shiva. There are mythological stories of Lord Shiva written on the pillars inside the temple and there is a statue of Goddess Lakshmi on eight pillars. Apart from this, there is a very big and beautiful hall, which has 1000 pillars. There are lions and elephants on these pillars.


Gopuram is 170 feet high


The temple has 4 main gates (gopurams) to go in, which are interlinked. There are a total of 14 gopurams in the temple. The 9-storey southern gopuram of 170 feet is the highest among them. All these gopurams have beautiful figures of various deities and Gandharvas. Every Friday, Meenakshi Devi and Sundareswara swing the golden idols of God, in which thousands of devotees are present for their darshan.

Minakshi Temple

Khajuraho Temple Group Unique artifacts of world heritage Hindu Jain temples

Next to Vishwanath Temple, Chitragupta Temple is dedicated to Suryanarayana. There are also statues of Uma-Maheshwar, Lakshmi-Narayana and Vishnu in the form of Virat, among other idols on the walls of the temple. Statues of workers carrying stones in the sculptures of life reflect the era of temple construction.

Laxman temple khajuraho , madhya pradesh temple
Laxman temple khajuraho


That day still floats on my memory table when I got on the bus from Jhansi in the morning with my friends after traveling for about four hours and set foot on Khajuraho, the paradigm of unmatched art in the world. We took two rooms to stay around the temples and after a snack we went to visit the temples of Khajuraho.

The first one was in front of us in a huge garden of the Western Temple Group complex, many temples with high peaks, which are built on high platforms. The first temple of our temple visit was Mantgeshwar which is the oldest temple. Shiva lingam of about one meter diameter and two and a half meter high is built in the sanctum sanctorum of the temple built in pyramid style. It was built by King Harshavarman in 920 AD.


temple khajuraho , art khajuraho temple
temple khajuraho art

The huge Lakshmana temple located near it is built in the Panchayatan style, on which there are sub-temples built on each of the four corners. Suryadev is seen riding on a chariot at the main gate of the temple. Numerous sculptures are engraved on the outer walls of the temple. The expressions of idols are made on seeing beauty. The three queues have a series of prominent sculptures. Some lines are of small sculptures. There are Dev idols in the middle ankles. Idols of dance, music, war, hunting etc. are seen in the then life. Other idols include statues of Vishnu, Shiva, Agnideva, Gandharva, Sur-Sundari, Devadasi, Tantrik, Purohit, and Kama Kala. In an idol, the hero-heroine is using fingernails to provoke each other. The temple's sanctum sanctorum houses the trinity statue of Lord Vishnu. There is a treasure of statues on the inside walls. On the platform of the temple, sculptures of collective mating with various themes also have amazing crafts. Laxmi temple and Varaha temple are built in front of the temple.

The temple of Kandaria Mahadev nearby is different from all the temples which is famous for work education. The structure and ornamentation of the temple is also very magnificent and the temple is dedicated to Lord Shiva. The entrance of the temple consists of 9 branches, on which lotus flowers, dancing apsaras and vyals are built. A four-faced statue of Shiva is built on the lintel. Brahma and Vishnu are also sitting near it. A huge marble Shivling is installed in the sanctum sanctorum. There are also beautiful paintings of stone art on the roofs of the pavilion. Sur-beautiful, male-eunuch, god-god and lover-couple are depicted in beautiful forms on the outer walls. Some unique sex scenes are depicted on the middle walls. Three statues, made in a sequence from top to bottom in one place, are said to be imitations of Kamasutra. It shows the importance of getting full stimulation through hugs and kisses at the beginning of sex. In another scene, a male appears in a posture of headstand with 3 females. There are a total of 646 sculptures on the outer walls of the largest temple, while there are 226 statues inside. Perhaps there are no such idols in any other temple. This temple built in Saptaratha style is the largest, about 117 feet tall, 66 feet wide and 117 feet high. This temple was built by King Vidyadhar around 1065 AD after defeating Mohammad Ghaznavi for the second time.

kandariya mahadev temple  , khajuraho temple
kandariya mahadev temple 

Visiting these temples, the next day the journey started from the Vishwanath temple. Earlier there is a newly constructed temple of Parvati. The ancient temple located here was fragmented. The Maharaja of Chhatarpur built the present temple around 1880 and established the statue of Parvati in it. This temple is different from other temples. Next to this is the Vishwanath temple dedicated to Shiva. Two lions and elephants are built in front of the temple stairs. The idols of Dev idols, Ashtadikapal, Nag Kanya, Apsaras, Rajsabha, Rasleela, Marriage, Utsav, Heroine playing Veena and Apsara emanating from thorns on foot are engraved in the temples. The niches have idols like Chamunda, Kaumari, Vaishnavi, Varahi, Maheshwari, Nataraja etc. This temple is 90 feet high and 45 feet wide. This temple was built by King Dhangadeva in 1002 AD. In the square pavilion in front of the main temple is a 6-foot-high visible statue of Nandi, the vehicle of Shiva.

Next to Vishwanath Temple, Chitragupta Temple is dedicated to Suryanarayana. There are also statues of Uma-Maheshwar, Lakshmi-Narayana and Vishnu in the form of Virat, among other idols on the walls of the temple. Statues of workers carrying stones in the sculptures of life reflect the era of temple construction. Among the main statues are statues of animals called Vayal and Shardul, which are built on every temple. On the walls of the Chitragupta temple, the hero-heroine is engraved in various forms of hugging. In the sanctum sanctorum, the statue of Lord Surya riding on a chariot of 7 horses sits. Chitragupta is sitting with a pen in his hand.

world heritage khajuraho temple , kandariya mahadev
world heritage khajuraho temple

Just ahead of the Chitragupta temple is the Jagadambi temple. Originally this temple was dedicated to Vishnu, but there is no statue in the temple. When the Maharaja of Chhatarpur renovated these temples, then the statue of Jagdamba was installed here. The idol of Yama is also present in this temple along with other deities. There are some good copulation scenes on the walls here too. At the entrance, Chaturbhuji Vishnu is seen sitting on Garuda. The idols of Saraswati and Lakshmi are particularly notable in the temple niches. Mahadev Temple is located near Jagdambi Temple. The original part of this small temple is in a fragmented state and the altar has also been destroyed. An idol at the entrance depicts King Chandravarman fighting with the lion. This scene had become the official symbol of the Chandelas. It was built by King Ghangadeva in 1025 AD.

We enjoyed a bicycle safari to see the eastern temples located a short distance near the ancient village of Khajuraho. Here bicycles are available at very low rates while taximen charge up to 500 rupees. Eastern temples have 4 Jain and 3 Hindu temples. The first is a small Brahma temple built in pyramid style. Lord Vishnu and Shiva are also present here along with the statue of Brahma. There is also a Shivling in the temple. About 300 meters from the Brahma temple is the Vamana temple. This temple is believed to be built in the later half of the 11th century. The walls of this temple are mostly single statues, except for a few hugging scenes of loving couples. Beautiful engravings of Shiva-Vivah are also seen here. Walking a little ahead of the Vamana temple comes Javari Temple. Dedicated to Lord Vishnu, this temple is seen in his Baikuntha form. The sculptures on the outer walls of the temple also have numerous copulation scenes.

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There are 4 Jain temples located here. Of these, the Golai temple is in fractal condition. Appearing as a mandapa, the pillars of this temple have beautiful ornamentation of bells. There are statues of the Gods and Goddesses at the entrance while the Goddess Chakreshwari, ruling at the entrance of the sanctum sanctorum, has a mounted statue on Garuda. The remaining three Jain temples are located in a compound some distance away. The most important of these is the Parsvnath temple with Tirthankara statues on its outer walls. Along with these is the beautiful marking of the deities Kubera, Dwarpal, Gajarudh or Akhrudh Jain. Here the rows of idols include Gandharva, Kinnar, Vidyadhar ruling deities, Yaksha Mithun and Apsaras. Among these, the idols of the heroine applying kajal and the mother spilling on her baby are enticing. The torana of the temple has a beautiful depiction of 16 dreams of the mother Tirthankar and Adinathji's statues in the sanctum sanctorum. The temple was built by a city Seth during the time of King Ghangadeva.


The Dulhadeva temple in the southern temples is dedicated to Shiva after the eastern temple. Inside the temple, a small Shivling is built on a huge Shivling. It is the last heritage of the Chandela kings built in the 12th century. After this the Chaturbhuj temple, some distance away from the Dulhadev temple, is built on a simple platform. The sculptures on the walls of this temple include Digpal, Ashtavasu, Apsaras and Vayal. The sanctum sanctorum of the temple has a soft statue of Shiva.

On almost all the temple walls, there are sometimes single and sometimes collective mating statues that make sense of the many asanas described and painted in the Kamasutra of Vatsyayana. The scenes of mass copulation create a different kind of curiosity in the minds of the viewers. The excellence of the idol craft also shows that these Maithun idols are not precipitated by any prejudice or frustration, no obscenity is seen, but simple simplicity is the culmination of the truth of life. When we were returning after seeing the highest patterns of Indian temple art, there was only one feeling in my mind, how will those anonymous craftsmen who created this unimaginable world of these sculptures and architecture, to see the tourists from all over the world today Aana considers his good fortune and takes in the camera the sweet memories of his journey.

The Museum of the Archaeological Department of India, located opposite the Western Temple Group, is divided into four huge houses. Including Shaivites, Vaishnavas, Jains and others. A large collection of statues can be seen. In it, the statue of Vishnu is shown with a gesture of keeping silent on the mouth. The museum also has a beautiful idol of Shiva with four legs. The Jain Museum has about 100 Jain sculptures. The State Museum of Tribal and Falk depicts paved ceramics, metal crafts, wood crafts, paintings, jewelery, masks and tattoos created by tribal groups. In the evening a light and sound program is displayed in the Western Temple Group campus, which brings to life its history. Do see these also in Khajuraho's program. To enjoy the high temples to the summit, take a biscope.

Although one can come here at any time throughout the year, the time from October to March is more favorable. Khajuraho in Chhatarpur district of Madhya Pradesh is connected by air from Delhi, Varanasi, Agra and Kathmandu. Rail service is available from Khajuraho railway station to Delhi, Agra, Jaipur, Varanasi, Udaipur, Bhopal, Indore, Ujjain. Bus services are available from many major cities of the country. There are hotels for every budget for accommodation and food.

Tuesday, April 14, 2020

Asim Riaz dances with Jacqueline Fernandez in new video, his fans can't stop gushing

Bigg Boss 13 runner-up Asim Riaz's career has taken off since he appeared on the reality show. The model who recently confirmed that he will be collaborating with rapper Bohemia was clicked at a dance studio with Jacqueline Fernandez. The Bollywood actress also shared a boomerang video with Asim on her Insta Story.

Asim reposted the boomerang video on his Insta story and fans couldn't keep calm. According to reports, Asim Riaz and Jacqueline Fernandez will be seen together in a music video.

Asim Riaz was one of the top two contestants of Bigg Boss 13. He entered as one of the lesser-known faces on the show but came out as one of the most popular ones. Before Bigg Boss 13, Asim Riaz has also been a part of Varun Dhawan's film Main Tera Hero.


In the Bigg Boss house, Asim also got lucky as he fell in love with co-contestant Himanshi Khurana. Asimanshi fans will soon get to see their favourite couple in a music video together.


मंगल से मिट्टी के नमूने लाने की योजना, कोरोना वायरस का इस पर भी हो रहा है असर

कोरोना वायरस (Corona virus) के खतरे से निपटने में दुनिया सफल नहीं रही है. ऐसे में वैज्ञानिकों को लगता है कि मंगल ग्रह (Mars) से मिट्टी के नमूने पृथ्वी (Earth) पर लाना ठीक नहीं होगा जबकि उससे खतरे की संभावना पूरी तरह से खारिज नहीं हो जाती.
mars mission , corona virus
mars

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Corona virus) ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. अमेरिका (USA) जैसे विकसित देश तक इसके प्रकोप से परेशान है. एक वायरस के कुछ पूर्ववर्ती रूप पहले ही दुनिया में कहर की झलक दिखा चुके थे. ऐसे में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि मंगल ग्रह (Mars) से मिट्टी के नमूने लाना खतरे से खाली नहीं है.

पहली बार पूरी दुनिया में ऐसे छाई कोई बीमारी
कोरोना वायरस पिछले तीन महीने से दुनिया के 210 देशों में फैल चुका है. करीब 18 लाख संक्रमित हो चुके हैं और मारे जाने वालों की संख्या करीब एक लाख दस हजार हो चुकी है. संभवतः यह पहली बार दुनिया में इतने विस्तृत पैमाने पर कोई बीमारी फैली है.

mars mission , red planet
red planet

अमेरिका नहीं था इसके लिए तैयार



अमरिका में लगभग 5 लाख मामले सामने आए हैं और मौत का आंकड़ा 17 हजार के पार निकल गया है. अमेरिका के लोगों को लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों से असहजता हो रही है. वहां के कई लोगों को मानना है कि वे इस तरह के आपदा से निपटने के लिए कभी तैयार नहीं थे.

जोखिम खारिज नहीं किया जा सकता पूरी तरह
कई विशेषज्ञों का मानना है कि मंगल ग्रह से वहां कि मिट्टी के नमूने लाने में जोखिम कम तो हैं लेकिन यह पूरी तरह से खतरे से खाली नहीं हैं. ये नमूने बायोलॉजिकल बम हो सकते हैं. हो सकता है कि उन नमूनों के साथ ऐसे अपरिचित सूक्ष्म जीव आ जाएं. अभी तक यह भी तय नहीं है कि इस तरह चीजों से हम कैसे निपटेंगे. कोरोना वायरस के संकट ने हमें यह सिखाया है कि हम इस तरह के खतरे को झेलने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं हैं.
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तो क्या हम मंगल से मिट्टी लाने की तैयारी में थे
जी हां. केवल नासा ही नहीं बल्कि अमेरिका के अलावा कई देश इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. इसमें चीन, फ्रांस, जापान, रूस शामिल हैं. नासा का एक रोवर मंगल पहुंच चुका है और उसने कुछ नमूने सहेज लिए हैं. अगले साल वह पर्सिवियरेंस नाम के दूसरे रोवर को मंगल भेजने की तैयारी भी कर रहा है.

क्या है MSR मिशन
मंगल से मिट्टी के नमूने लाने के अभियानों को मार्स सैम्पल रिटर्न (MSR) मिशन नाम दिया गया है. मंगल से नमूने लाने का काम दो बातों के लिए बहुत ही ज्यादा अहम माना गया है. पहला मंगल ग्रह पर जीवन ढूंढने के लिए और दूसरा मंगल पर मानव भेजने के लिए.

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मंगल से मिट्टी के नमूने लाने की योजना, कोरोना वायरस का इस पर भी हो रहा है असर
मंगल से मिट्टी के नमूने लाने की योजना, कोरोना वायरस का इस पर भी हो रहा है असरवैज्ञानिक मानते हैं कि मंगल ग्रह से मिट्टी लाना में खतरा कम है, लेकिन पूरी तरह खतरे से खाली भी नहीं है..
कोरोना वायरस (Corona virus) के खतरे से निपटने में दुनिया सफल नहीं रही है. ऐसे में वैज्ञानिकों को लगता है कि मंगल ग्रह (Mars) से मिट्टी के नमूने पृथ्वी (Earth) पर लाना ठीक नहीं होगा जबकि उससे खतरे की संभावना पूरी तरह से खारिज नहीं हो जाती.






नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Corona virus) ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. अमेरिका (USA) जैसे विकसित देश तक इसके प्रकोप से परेशान है. एक वायरस के कुछ पूर्ववर्ती रूप पहले ही दुनिया में कहर की झलक दिखा चुके थे. ऐसे में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि मंगल ग्रह (Mars) से मिट्टी के नमूने लाना खतरे से खाली नहीं है.
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पहली बार पूरी दुनिया में ऐसे छाई कोई बीमारी
कोरोना वायरस पिछले तीन महीने से दुनिया के 210 देशों में फैल चुका है. करीब 18 लाख संक्रमित हो चुके हैं और मारे जाने वालों की संख्या करीब एक लाख दस हजार हो चुकी है. संभवतः यह पहली बार दुनिया में इतने विस्तृत पैमाने पर कोई बीमारी फैली है.

अमेरिका नहीं था इसके लिए तैयार



अमरिका में लगभग 5 लाख मामले सामने आए हैं और मौत का आंकड़ा 17 हजार के पार निकल गया है. अमेरिका के लोगों को लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों से असहजता हो रही है. वहां के कई लोगों को मानना है कि वे इस तरह के आपदा से निपटने के लिए कभी तैयार नहीं थे.

COVID-19दुनिया में अभी तक कोरना वायरस का कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है.


जोखिम खारिज नहीं किया जा सकता पूरी तरह
कई विशेषज्ञों का मानना है कि मंगल ग्रह से वहां कि मिट्टी के नमूने लाने में जोखिम कम तो हैं लेकिन यह पूरी तरह से खतरे से खाली नहीं हैं. ये नमूने बायोलॉजिकल बम हो सकते हैं. हो सकता है कि उन नमूनों के साथ ऐसे अपरिचित सूक्ष्म जीव आ जाएं. अभी तक यह भी तय नहीं है कि इस तरह चीजों से हम कैसे निपटेंगे. कोरोना वायरस के संकट ने हमें यह सिखाया है कि हम इस तरह के खतरे को झेलने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं हैं.

तो क्या हम मंगल से मिट्टी लाने की तैयारी में थे
जी हां. केवल नासा ही नहीं बल्कि अमेरिका के अलावा कई देश इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. इसमें चीन, फ्रांस, जापान, रूस शामिल हैं. नासा का एक रोवर मंगल पहुंच चुका है और उसने कुछ नमूने सहेज लिए हैं. अगले साल वह पर्सिवियरेंस नाम के दूसरे रोवर को मंगल भेजने की तैयारी भी कर रहा है.

क्या है MSR मिशन
मंगल से मिट्टी के नमूने लाने के अभियानों को मार्स सैम्पल रिटर्न (MSR) मिशन नाम दिया गया है. मंगल से नमूने लाने का काम दो बातों के लिए बहुत ही ज्यादा अहम माना गया है. पहला मंगल ग्रह पर जीवन ढूंढने के लिए और दूसरा मंगल पर मानव भेजने के लिए.



रूस और चीन हैं गंभीर
फिलहाल नासा के अलावा रूस और चीन भी इस तरह केअभियान पर सक्रिय तौर पर काम कर रहे हैं. जहां नासा यूरोपीय स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर साल 2032 तक मंगल से मिट्टी के नमूने लाने की तैयारी कर रहा है, वहीं चीन की योजना 2030 तक मंगल से नमूने लाने की है. चीन अपनी अंतरिक्ष योजनाओं के लेकर बहुत महत्वाकांक्षी है. वह चांद के पिछले हिस्से पर, जो धरती से दिखाई नहीं देता, पर अंतरिक्ष यान भेजने वाला पहला देश है. वहीं रूस ने इस योजना की अभी कोई समय सीमा नहीं बताई है.

और भी मत हैं वैज्ञानिकों के
वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल से नमूने लाने से पृथ्वी पर संक्रमण आने की संभावना बहुत ही कम है. लेकिन वे इसे पूरी तरह से खारिज करने में असमर्थ हैं. पृथ्वी के बाहर से इस तरह के संक्रमण के आने को बैक कंटैमिनेशन कहा जाता है. कई ऐसे वैज्ञानिक हैं जो यह मानते हैं कि मंगल से नमूने लाने में लेशमात्र भी खतरा नहीं हैं. तो वहीं कुछ वैज्ञानिकों का यह मानना है कि पृथ्वी के बाहर से कई संक्रमण यहां आ चुके हैं. जिन्हें छिपाया भी गया है.

कोरोना बदल रहा है सोच
बेशक जहां वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर मतभेद रहे कि मंगल ग्रह से नमूने लाने में कितनी जल्दबाजी हो रही है, वहीं कोरोना वायरस के प्रकोप ने इस बहस को नया आयाम दिया है. कोरोना वायरस दुनिया में सामाजिक और आर्थिक बदलाव के साथ वैज्ञानिकों की सोच बदलने में भी भूमिका निभा रहा है.

Sunday, April 12, 2020

People's Bank of China picks up 1% stake in HDFC

Domestic equities came under pressure in March, including that of HDFC's, after the spread of COVID-19 pandemic in India.
China’s central bank People's Bank of China (PBoC) has picked over 1% stake in the country's largest mortgage lender HDFC Ltd.

According to March-end shareholding pattern disclosed by the mortgage lender to the stock exchanges, the People's Bank of China has 1.75 crore shares or 1.01% stake in HDFC.

The Chinese bank had some stake in HDFC prior to Jan-March quarter, but the disclosure was made since the shareholding crossed 1% during the fourth quarter of 2019-20.

Domestic equities came under pressure in March, including that of HDFC's, after the spread of COVID-19 pandemic in India.

HDFC shares are currently trading only marginally higher than their 52-week low of ₹1,473.10 that was touched on March 24.

Incidentally, the shares touched their 52-week high of ₹2,500 on January 14 and are currently trading around 32% lower than the highs.

HDFC has been one of the most volatile stocks among the Sensex pack in the recent past, coming under heavy selling pressure as banking and financials sectors have bore the maximum brunt of investor pessimism.

In the last one month, while the Sensex has lost nearly 13%, shares of the housing finance major have lost over 16%, having fallen from ₹2,036.

Shares of HDFC are currently at ₹1,701.95 after having gained over 9% on Thursday. On Friday, the markets were shut on account of Good Friday.