राजस्थान के भीलवाड़ा में कोरोना वायरस से निपटने को लेकर अपनाई गई नीति पूरे देश में लागू हो सकती है। प्रदेश में सबसे पहले कोरोना का केंद्र बना भीलवाड़ा पूरे देश में चर्चित हुआ है। अब कोरोना से लड़ने के लिए अपनाया गया भीलवाड़ा मॉडल पूरे देश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है। केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने प्रदेश के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता से भीलवाड़ा मॉडल को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी है।
bhiwada |
केंद्रीय कैबिनेट सचिव द्वारा भीलवाड़ा मॉडल को लेकर मांगी गई जानकारी के बारे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को बताया। गुप्ता ने बताया कि कैबिनेट सचिव गौबा ने कोरोना से बचाव के लिए भीलवाड़ा में किए गए उपायों की तारीफ करते हुए इस मॉडल को देशभर में लागू करने के संकेत दिए। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने भी इस बारे में प्रदेश में चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह से जानकारी मांगी। प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बताया कि भीलवाड़ा में कोरोना का प्रकोप मार्च के तीसरे सप्ताह में एक साथ फैला तो सरकार ने घर-घर स्क्रीनिंग शुरू की और 18 लाख लोगों की जांच की गई। इसके लिए 15 हजार टीमें बनाई गई। पहले लॉकडाउन और फिर कर्फ्यू का सख्ती से पालन किया गया।
पॉजिटिव पाए गए लोगों को तत्काल आइसोलेट किया गया। क्वारंटाइन किए गए लोगों के घरों के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया, जिससे वे बाहर नहीं निकल सके। शर्मा ने बताया कि इससे पहले जयपुर के एसएमएस अस्पताल में कोरोपा पॉजिटिव मरीजों के इलाज को लेकर यहां के चिकित्सकों ने जो दवाइयां काम में ली थीं, उसके बारे में भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी मांगी थी। उन दवाइयों के कारण कई मरीज पॉजिटिव से नेगेटिव हुए हैं।
सरकार ने भीलवाड़ा में अपनाया यह मॉडल
भीलवाड़ा में एक डॉक्टर के संक्रमित होने के बाद वहां तेजी से कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ी, लेकिन बाद में यह आंकड़ा 27 मरीजों से अधिक नहीं बढ़ा। पॉजिटिव मरीज सामने आते ही भीलवाड़ा में कर्फ्यू लगाकर सीमाएं सील कर दी गईं। जिले के सभी निजी अस्पतालों और होटलों को अधिगृहीत कर लिया गया। लॉकडाउन कि सख्ती से पालना और घर-घर स्क्रीनिंग की गई। जनप्रतिनिधियों,मीडिया और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को भी शहर में प्रवेश नहीं दिया गया। जिला प्रशासन और पुलिस के भी कुछ ही अधिकारी शहर में गए।
लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने पर जोर दिया गया। इन सबके चलते भीलवाड़ा में कोरोना के मामले आगे नहीं बढ़े। डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ ने अपना मनोबल ऊंचा रखा। इसका असर भी दिखा और कई संक्रमित मरीज ठीक हो गए। भीलवाड़ा में प्रशासनिक, पुलिस और मेडिकल के थ्री टियर प्रयास के साथ साथ वहां की जनता ने भी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा। इसकी बदौलत कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया गया है। भीलवाड़ा में पिछले 17 दिन से कर्फ्यू लगा हुआ है। पिछले तीन दिन से शहर में महा कर्फ्यू लगा हुआ है, यहां तीन हजार पुलिस के जवान और एक दर्जन वरिष्ठ अधिकारी तैनात किए गए हैं।
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